जरूरत की खबर- समोसा–जलेबी पर खतरे की चेतावनी जरूरी:शुगर, बीपी बढ़ा रहे हमारे फेवरेट स्नैक्स, कैसे चुनें इनका हेल्दी विकल्प

हाल ही में सोशल मीडिया और कई वेबसाइट्स में एक खबर वायरल हुई कि समोसा, जलेबी और कचौरी जैसे स्नैक्स पर चेतावनी लिखी जाएगी। इसमें दावा किया गया था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसी एडवाइजरी जारी की है, जिसके तहत इन पॉपुलर देसी स्नैक्स पर वॉर्निंग लिखी जाएगी। हालांकि, सरकार ने अब इन दावों को फर्जी बताया है।
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने लिखा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसी कोई एडवाइजरी नहीं जारी की है, जिसमें समोसा, जलेबी या लड्डू जैसे स्ट्रीट फूड को टारगेट किया गया हो। यह एक कॉमन एडवाइजरी है, जिसका मकसद लोगों को खाने-पीने की चीजों में छिपे एक्स्ट्रा फैट और शुगर के बारे में जागरूक करना है।
यह एडवाइजरी खासतौर पर ऑफिस और वर्क प्लेस में हेल्दी फूड चॉइस को बढ़ावा देने के लिए है। इसका भारतीय स्ट्रीट फूड कल्चर से कोई लेना-देना नहीं है।
सरकार ने भले ही यह एडवाइजरी नहीं जारी की है कि समोसा, जलेबी आदि स्नैक्स पर वॉर्निंग लिखनी जरूरी है। इसके बावजूद ये बेहद खतरनाक हैं। खराब तेल और ढेर सारी चीनी में बनी ये चीजें हमें लगातार बीमार बना रही हैं।
इसलिए ‘जरूरत की खबर’ में आज समोसा, जलेबी और कचौरी जैसे स्नैक्स की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- इन्हें रोज खाना कितना खतरनाक है?
- इनके क्या अल्टरनेटिव हो सकते हैं?
- डॉक्टर इस बारे में क्या कहते हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. शिवम खरे, कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली
सवाल: समोसा, जलेबी जैसे खराब स्नैक्स का हमारे ऊपर क्या असर पड़ रहा है?
जवाब: हमारे खराब खानपान का नतीजा यानी भारत में लाइफस्टाइल बीमारियों का हाल देखिए। साल 2021 में भारत सरकार द्वारा किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत के लगभग 23% पुरुषों और 24% महिलाओं का वजन सामान्य से ज्यादा है। BMC पब्लिक हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 31.5 करोड़ लोगों को हाइपरटेंशन है। भारत में 10.1 करोड़ लोगों को डायबिटीज है, जबकि 15.3% वयस्क ऐसे हैं जिन्हें प्रिडायबिटीज है। इसका मतलब है कि ये जल्द ही डायबिटीज की लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। इन सभी लोगों को को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी है।
खराब खानपान का सीधी असर लोगों की बिगड़ती सेहत पर दिख रहा है। शहरों में अस्पताल और बेड हर साल बढ़ रहे हैं, पर मरीजों की कतारें उससे तेजी से लंबी हो रही हैं।